धनबाद । धनबाद से चन्द्रपूरा तक लाइफ लाइन कही जाने वाली डीसी रेल लाइन से जैसे बीसीसीएल ने अपना मूहँ मोड़ लिया है। इस रेल लाइन से कोयला ढुलाई कर रोजाना मुनाफा कमाने वाली बीसीसीएल ने इस महत्त्वपूर्ण रेल लाइन को अपने भाग्य भरोसे छोड़ दिया है। दीगर बात तो यह है कि इस रेल ट्रैक से हावड़ा-जबलपुर, कोलकाता -मदार, हावड़ा -रांची जनशताब्दी, हावड़ा -भोपाल, दरभंगा -सिकन्दराबाद, कोलकाता -अहमदाबाद, जसीडीह-बासकोडिगामा, धनबाद -एलपुज्जा एक्सप्रेस जैसी महत्त्वपूर्ण ट्रेनों का परिचालन होता है जिससे रेलवे को भी भारी मुनाफा होता है परंतु दोनों ही सरकारी एजेंसियों ने इस महत्त्वपूर्ण रेलवे ट्रैक के रखरखाव, मानिटरिंग, मेन्टेन रखने से साफ मूहँ मोड़ लिया है जिससे इस रेल ट्रैक की आयु कम होती जा रही है।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है वर्षों पूर्व कोयला निकासी के क्रम में डीसी रेल लाइन के किनारे हल्की आग की सूचना को रेलवे ने गंभीरता से लिया था। रेलवे के कहने पर बीसीसीएल ने बसेरिया, बांसजोड़ा, तेतुलिया में करीब एक दर्जन बोरहॉल कर पाइप का मुहाना बनाया, जिसमें समय-समय पर सोडियम सिलिकेट रसायन डाला जाता था। यह रसायन आग को नियंत्रित और बुझाने में मदद करता है। बसेरिया, बांसजोड़ा, अंगारपथरा व तेतुलिया में जमीन के नीचे लगी आग आज भी चिंता का विषय बना हुआ है।
जानकार बताते हैं कि बीसीसीएल ने रसायन डालना लगभग बंद कर दिया है। स्थिति यह है कि बीसीसीएल न तो आग बुझाने के लिए रियल टाइम मॉनिटर ही लगा रहा है, ना ही बोरहॉल में सोडियम सिलिकेट रसायन डाल रहा है. वैसे हो हल्ला होने पर खानापूर्ति के लिए कभी-कभार यह रसायन डाल दिया जाता है, जोकि नाकाफी है. रखरखाव के अभाव में इस महत्त्वपूर्ण रेलवे ट्रैक के असमय काल के गाल में सामने का मार्ग प्रशस्त होता जा रहा है जिसका खामियाजा यहाँ की जनता को भुगतना होगा।
इस संबंध में डीसी रेल लाइन के आंदोलनकारियों ने बीसीसीएल व रेलवे के अधिकारियों का कई बार दरवाजा खटखटाया परंतु आज तक उनकी कानों तक जूं तक नहीं लेंगे है। लगता है जिले के अधिकारियों, राजनेताओं व जनप्रतिनिधियों को इससे कोई सरोकार नहीं है वरना यह तुच्छ सा कार्य मिनटों में हो सकता है। अब यहाँ कि हराश व निराश जनता ने इस रुट पर गोड्डा -रांची व जसीडीह -बासकोडिगामा जैसी ट्रेन दिलवाने वाले गोड्डा सांसद का दरवाजा खटखटाया है क्योंकि यही वह सांसद हैं जिन्होंने सिर्फ अपने बलबूते पर धनबाद के एम्स और एयरपोर्ट को अपने नाम कर लिया और देवघर को यह सौगात दिला दी और शायद धनबाद के जनप्रतिनिधि मूहँ ताकते रह गए।