चित्तरंजन। उत्तर प्रदेश राज्य के हाथरस में दलित बेटी पर हुए अत्यचार एवं निर्मम हत्या के विरोध में अखिल भारतीय बाल्मिकी समाज विकास परिषद के बैनर तले शनिवार देर संध्या बाल्मिकी समाज के लोगों ने चित्तरंजन के.जी अस्पताल से विभिन्न क्षेत्रों को दौरा करते हुए अम्बेडकर प्रतिमा (पेट्रोल पंप)तक मोमबत्ती जुलूस निकालकर यूपी सरकार और भाजपा के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए दलित बेटी को जल्द इंसाफ देने की मांग की। बताते चलें कि यूपी के हाथरस में दलित युवती की बलात्कार कर निर्मम हत्या का मामला सामने आने के बाद देश भर में आवाज उठ रही है।
चित्तरंजन के.जी अस्पताल से बाल्मीकी समाज के लोगों ने यूपी सरकार एवं प्रशासन के विरूद्ध अम्बेडकर प्रतिमा तक मोमबत्ती जुलूस निकाल दलित बेटी के लिए इंसाफ की मांग की। समाज के लोगों का आरोप और आक्रोश है कि राज्य सरकार दोषियों के बचाने का प्रयास कर रही है। लोगों ने दोषियों को जल्द से जल्द फाँसी देने की मांग की। इस संबंध में अखिल भारतीय बाल्मिकी समाज विकास परिषद के अध्यक्ष कल्याण बाल्मीकी ने कहा कि जिस राज्य में राम का जन्म हुआ और जिसे रामराज्य बनाने की स्वपन देख रही है, उसी यूपी में एक दलित बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है, और उस बच्ची की निर्ममता से हत्या कर दी जाती है। राज्य सरकार दोषियों को बचाने में लगी हुई है, ऐसे सरकार का क्या महत्त्व है। दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही ना कर के दलित परिवार सहित पूरे गाँव को कैद कर प्रशासन ने सभी सीमाए लाँघ दी है, ऐसी सरकार और प्रशासन हमें नहीं चाहिये। पुलिस और प्रशासन संलिप्त हो कर सबूतों को मिटा और लोगों को चुप करवा रही है। घायल अवस्था में पीड़िता युवती ने सामूहिक दुष्कर्म की ब्यान भी दर्ज करवाया इसके बावजूद लीपा पोती की गई, इतनी बड़ी घटना की रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस को आठ दिनों का समय लग गया। जबरन युवती का दाहसंस्कार रातों रात करवा कर सबूतों को मिटाने का और दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है जिसके विरुद्ध हमलोग ने आज यह जुलूस निकाली है और जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलेगा तब तक हम पीड़ित के परिवार के साथ खड़े हैं।
जुलूस में अखिल भारतीय बाल्मीकी समाज विकास परिषद के मुख्य सलाहकार राज मल्ल जी, राज्य महासचिव बंगाली बाबू, महासचिव बोहरण कुमार, चित्तरंजन एससी-एसटी कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष एस.सी ब्रम्हा, सुभाष महजन, राजेश बाल्मीकि, राधेशाम बाल्मीकि, राकेश बाल्मीकि, प्रदीप बाल्मीकि, रमेशचंद्र वाल्मीकि, राधेश्याम बाल्मीकि, विजय कांगडा, ओमप्रकाश समेत भारी संख्या में बाल्मीकि समाज के सदस्य उपस्थित रहे।