गोमो : रेलनगरी गोमो की सड़क की हालत बद्तर से बद्तर हो गई है। सड़क ने लोको बाजार, से सिक लाइन तक बड़े-बड़े गढ्ढे होकर तालाब का रूप ले लिया है। उसमें बरसात और नाली का गंदा पानी जमा हो गया है।
ये सड़क गोमो का मुख्य मार्ग है। इसमें प्रति दिन छोटे बड़े हजारों वाहन चलते हैं । बाइक पर बैठी महिलायेंं एवं साइकिल सवार तो गड्ढे में गिर जा रहे हैं। पैदल चलने वालों की तो हालत और भी खराब हो गई है। पर इस सड़क को देखने वाला कोई नहीं है ।
ये सड़क रेलवे के अधीन है । स्थानीय लोगों की शिकायत है कि रेलवे जानबूझ कर इस सड़क को नहीं बनाती है । उनका कहना है कि रेलवे सोंचती है कि इस सड़क पर तो आम जनता भी चलती है तो हम क्यों बनाये। इसी चक्कर में जनता पीस रही है। इस सड़क से प्रति दिन रेलवे के सैकड़ों कर्मचारी अफसर और रेलवे का सामान बड़े-बड़े ट्रेलरों और ट्रकों से लाया और ले जाया जाता है। फिर भी ये अफसर आँख बंद करके सड़क से गुजरते हैं।
लोग कहते हैं कि इन्हें जनता की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है। बस इनके रेलवे क्वार्टर चकाचक चमकना चाहिए । क्वार्टरों और इन अफसरों के बंगलों का हर साल जीर्णोद्धार और रंग रोगन का काम होता है। रेल कॉलोनियों की सड़कों को भी सालों भर कार्य किया जाता है ।
इन कालोनियों की सड़कों और रेलवे के कर्मचारियों का क्वार्टर भी ऐसा बनाया जाता है कि एक साल में फिर काम करना पड़े। काम होता रहे सब का पेट पलता रहे । लेकिन इन अफसरों को मुख्य सड़क के बारे में कोई चिंता नहीं है।