लोयाबाद (धनबाद )। लॉकडाउन की वजह से लोयाबाद के करीब दर्जन भर अधिक ऑटो चालक सब्जी बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं । लॉकडाउन से पहले ये लोग ऑटो चलाकर अपने परिवारों का पेट पाल रहे थे। इसमें कुछ लोग चालक के अलावे ऑटो के मालिक भी हैं एवं कुछ दर्जी भी है जो सिलाई का काम किया करते थे। इस समय ये सभी रोजाना लोयाबाद हटिया मैदान में सब्जी बिक्री कर जीविका चला रहे है। ऑटो चालकों की माने तो मजबूरी में यह कारोबार शुरू किया है।
इस बिजनस में कोई खास फायदा नहीं हो रहा। हाँ इतना जरूर है कि घर में सब्जी खरीदने की नौबत नहीं आ रही है। कहा कि ऑटो चलाने से 400 रुपए रोज की आमदनी हो जाती थी लेकिन सब्जी बेचने से कभी 100 या 150 या फिर कभी वो भी नहीं बच पाता। ऑटो चालकों ने प्रदेश के सरकार से सभी ऑटो वाले पर सरकारी सहायता की मांग की है।
ऑटो मालिक ने कहा कि सरकार ऑटो का ईएमआई ऑटो मालिकों को दे ,एवं टैक्स, इन्सुरेंस परमिट का खर्च भी उठाए। ऑटो मालिकों ने अपना दुःखड़ा सुनाते हुए कहा कि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो उनके पास आत्महत्या के अलावे कोई दूसरा चारा नहीं बचता।
1) जमालूद्दिन-लोयाबाद 6 नंबर निवासी सिलाई का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद से सब्जी बेच रहा हूँ। सिलाई कर 250-300 कमा लेता था रोज का। सब्जी बेचकर बचत समझ में नहीं आता। बचत यही है कि सब्जी खरीदने नहीं पड़ते। कोटा से राशन मिलता है।
2)निजाम-लोयाबाद 8 नंबर निवासी टेम्पू चलाता था। रोज का 200-250 का आमदनी होता था। अभी 70-75 रुपया बच जाता हैं। लॉकडाउन के एक हफ्ते बाद से सब्जी बेचना शुरू किया हूँ।
3)प्रदीप साव-सेन्द्रा मोड़ पर घर है। ऑटो चलाता था।फिलहाल इस काम में बचत बोल के कुछ नहीं है। पूंजी निकल जाता है।खाने को सब्जी मिल जाता है।
4)दीपक केशरी-लोयाबाद मोड़ पर रहता हूँ। समय काट रहा हूँ।लोगों को ताजी सब्जियाँ मिल जाती है। हमें भी खाने को मिल जाती है। बाकि दिक्कत बहुत है। अन्य जरूरते नहीं पुरी हो पाती। ऑटो चले तो अच्छा होगा।
5)इमरान मंसुरी-सब्जी बेचकर 50-100 बचा लेता हूँ।लॉकडाउन से पहले दिन रात ऑटो चलाकर 300-400 तक कमा लेता था।
6)मुख्तार आलम-जब से लॉकडाउन हुआ है। टेम्पू का किश्त जमा नहीं कर पाया हूँ। लॉकडाउन नहीं होता तो अगस्त में किश्त पूरा हो जाता।
फिलहाल सब्जी बेचकर 100-150 तक कमा लेता हूँ। परिवार चलाने में बहुत परेशानी हो रही है।