Site icon Monday Morning News Network

राज्य सरकार की अतिरिक्त टेक्स से बढ़ेगी जनता की परेशानी

कुल्टी विधायक को ज्ञापन देते व्यावसाईगण

नियामतपुर -बराकर चैंबर ऑफ कॉमर्स एवं नियामतपुर मर्चेन्ट चैंबर ऑफ़ इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों ने पश्चिम बर्धमान जिला में लागू किये गए एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स का विरोध करते हुये कुल्टी के विधायक उज्ज्वल चटर्जी को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान बराकर चैंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव अर्जुन अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 1972 में बना एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स को लागू करने से आम व्यावसाईयो के साथ ही जनता पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. जिसके कारण अनाज की कीमतो में वृद्धि होनी तय है और सबसे ज्यादा परेशानी जनता को झेलनी पड़ेगी एवं व्यावसाईयो पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ पड़ेगा. नियामतपुर मर्चेन्ट चैंबर के सचिव सचिन बालोदिया ने कहा कि इस एग्रीकल्चर टैक्स को कोलकाता में भी लागू किया गया था, जिसका व्यावसाईयो ने जमकर विरोध किया था और व्यावसाईयो के विरोध को देखते हुये इस कानून को लागू नहीं किया गया. बिहार और झारखंड राज्य में भी इस कानून का विरोध होने के बाद इसे लागू नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध करीब दो वर्ष पहले व्यावसाईयो ने अपने स्तर पर जोरदार प्रदर्शन कर किया था. जिसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. परन्तु देखा जा रहा है कि पश्चिम बर्धमान जिले में आने वाली अनाज मंडी में अनाज की गाड़ियों की जाँच की जा रही है, और पुनः टैक्स लेने का प्रयास किया जा रहा है. मालूम हो कि इस कानून में ऐसा प्रावधान किया गया है कि व्यावसाईयो को अपने वार्षिक बिक्री के हिसाब से 0.5 से 2 प्रतिशत तक अतिरिक्त कर अदा करना होगा. जबकि वे पहले से ही आयकर समेत अन्य करो की भुगतान कर रहे है. यदि राज्य सरकार इस कानून को बंगाल में लागू करती है, तो इसका असर व्यापार में होगा और मूल्यवृद्धि की समस्या उत्पन्न हो सकती है. जब देश में एक राष्ट्र एक टैक्स की प्रणाली के तहत जीएसटी बिल लागू किया गया है, तो फिर एग्रीकल्चर मार्केटिंग टैक्स को लागु कर व्यावसाईयो पर अतिरिक्त बोझ डालना राज्य की आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुँचा सकता है. श्री बालोदिया ने कहा कि बराकर, नियामतपुर आदि जगहों के व्यवसाई जिले के बाहर से खाद्य सामग्री खरीद कर लाते है, उसके बाद इसपर कानून लगाया जाता है, तो फिर व्यावसाईयो को व्यापार करना मुश्किल साबित होगा. इसलिए राज्य सरकार से अनुरोध है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए पुन: विचार करे, ताकि व्यावसाई अपना व्यापार सुकून से कर सके और जनता भी इस दुष्प्रभाव से दूर रहे.

Last updated: मई 5th, 2018 by News Desk