ये है कामख्या में काले जादू का सच ……………

प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर समेटे देश के राज्यों में से एक “असम” की अपनी ही शान है. वैसे तो तिजपुर इसकी राजधानी है लेकिन, अघोषित तौर पर राजधानी गुवाहाटी है, जो पूर्वोत्तर भारत की बड़े शहरों में जाना जाता है, यह असम की आर्थिक शहर है. यह शहर पहाड़ों और खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है, यहाँ के दृश्य काफी मनमोहक है.

शहर जितना खूबसूरत है उतने ही खूबसूरत यहाँ के लोग है, चेहरे पर भोलापन और मासूमियत साफ झलकती है. इन सबके बावजूद नक्सलवाद यहाँ की मुख्य समस्या है, जो यहाँ की खूबसूरती को मलिन करती है. असम का अपना राज्य गान और बीहू पर्व है. यह पर्व वर्ष में तीन बार मनाया जाता है, इस दौरान यहाँ की खूबसूरती और भी निखर जाती है. यहाँ के लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर काफी लगाँव और श्रद्धा है.

गुवाहाटी विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक शहर है

गुवाहाटी का ख़ूबसूरत नजारा

असम की अघोषित राजधानी गुवाहाटी एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र और बंदरगाह है, यह विश्व का सबसे बड़ा चाय उत्पादक शहर है, यहाँ की चाय काफी गुणवत्तापूर्ण और लोकप्रिय है, तेलशोधन संयत्र और कृषि क्षेत्र के अलावा यहाँ कोई बड़े उद्योग नहीं है. गुवाहाटी में मिश्रित संस्कृति है, इसलिए यहाँ असमिया के अलावा हिंदी, बांग्ला, पंजाबी, नेपाली, राजस्थानी भाषाएँ बोली जाती है. यहाँ बोरझार में हवाई अड्डा के साथ ही छोटी-बड़ी रेलमार्ग के जरिये पहुँचाना बेहद आसान है. यह शहर धार्मिक दृष्टि से बहुत प्राचीन और वृहद् है.

देवी के शरीर का योनी (सृजक अंग) गुवाहाटी में गिरा था जहाँ कामख्या मंदिर है

यहाँ कामख्या, नवग्रह, उमानंदा जैसी इतिहासिक हिन्दू मंदिरें है, जिनमें प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर नीलाचल हिल पर स्थित कामख्या मंदिर है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यह मंदिर भगवान् शिव की पत्नी पार्वती से जुड़ा हुआ है. ग्रंथों के अनुसार देवी पार्वती के पिता द्वारा उनके पति का अपमान करने के बाद देवी ने हवन कुंड में कूदकर जान दे दी थी. जिसके बाद भगवान् शिव क्रोधित होकर तांडव नृत्य करने लगे थे. जिसके भय से सभी देवता भगवान विष्णु से सहायता करने और नृत्य रोकने का निवेदन किये और विष्णु ने पार्वती के मृत शरीर के 51 टुकड़े कर दिए, जिसके बाद भगवान् शिव का नृत्य रुक गया. बताया जाता है कि देवी के शरीर का योनी (सृजक अंग) गुवाहाटी में गिरा था जहाँ कामख्या मंदिर है.

अफवाह मात्र है कामख्या में काले जादू की कथा

यह मंदिर असम की वास्तुकला का बेजोड़ नमूना भी है, इसकी गुम्बद मधुमक्खी के छत्ते की तरह प्रतीत होती है. कामख्या को लेकर काफी भ्रांतियाँ फैली हुई है, जैसे की यहाँ काला जादू चलता है, इंसान को जानवर बना दिया जाता है या गायब कर दिया जाता है. लेकिन यहाँ जाने के बाद यह सारी भ्रांतियाँ गलत निकली. हालांकि स्थानीय लोगों ने बताया कि मयंक नामक एक स्थान है जहाँ पूर्व में जादू-टोना हुआ करता था लेकिन अब नहीं है. एक स्थानीय निवासी ओला चालक ने बताया कि मयंक में अब भी काला जादू होता है, लेकिन इस विद्या के जानकर अब ना के बराबर बचे है. इसके अलावा धर्मग्रन्थ रामायण के रचनाकार वशिष्ठ मुनि के स्मरण में बना वशिष्ठ आश्रम है.

शराब का सेवन बहुत आम है, महिलायेंं भी खुलकर करती है नशा

असम जू एवं बोटेनिकल गार्डेन्स में गेंडे, सफ़ेद चिता के अलावा कई दुर्लभ प्रजाति की पक्षियाँ देखने को मिलती है. पंजाबाड़ी में स्थित शंकरदेव कलाक्षेत्र असम की संस्कृति संग्रहालय है. यहाँ पाव मस्जिद है जो सऊदी अरब के मक्का स्थित मस्जिद के अनुरूप निर्मित है. यहाँ शराब की अनेक किस्में मिलती है, जिसे लोग अपने-अपने घरों में बनाते है.एक खास बात और देखि जाती है कि यहाँ की अधिकांश महिलायें कुछ ना कुछ नशा का सेवन अवश्य करती है. ब्रह्मपुत्र नदी इस राज्य की लाइफलाइन है. यह नदी राज्य के बीच से गुजरती है और यहाँ के लोगों की प्यास बुझाने में इसका अहम योगदान है.

Last updated: जुलाई 12th, 2018 by News Desk

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