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द्रुत गति से भरे जा रहे हैं अंडाल के तालाब , पर्यावरण को गंभीर खतरा , कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं भू माफिया

अंडाल थाना के पीछे भर दिया गया एक बड़ा तालाब

मंडे मॉर्निंग कई वर्षों से अंडाल क्षेत्र में तालाब माफियाओं की सक्रियता के बारे में लिखता रहा है। ताजा मामले में एक बार फिर एक बड़े तालाब को भर दिए जाने की खबर मंडे मॉर्निंग को मिली है। अंडाल थाना के ठीक पीछे स्थित यह तालाब मात्र कुछ वर्षों पहले तक बहुत बड़ा तालाब हुआ करता था जो अब सिमट कर एक गड्ढे में बदल गया है। मंडे मॉर्निंग द्वारा ली गयी इस फोटो में देख सकते हैं कि तालाब का बहुत बड़ा हिस्सा भर दिया जा चुका है और मात्र थोड़ा हिस्सा बचा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस तालाब में पहले मछली पालन होता था। भू माफियाओं , जिम्मेवार अधिकारी और नेताओं की सांठ गाँठ से धीरे-धीरे करके तालाब को भर दिया गया। इस तालाब के बगल में ही दो और बड़े तालाब थे , उसे भी भर दिया गया और उस पर मकान भी बन गया है।

मंडे मॉर्निंग ने इस तालाब , इसके मालिक के बारे में जानकारी भी हासिल की है। यह तालाब 13 नंबर रेलवे कालोनी दुर्गा मंदिर से के निकट है. रेलवे की सीमा समाप्त होने के बाद एक पब्लिक घर है और उसके ठीक पीछे स्थित है यह तालाब जो थाना रोड क्षेत्र में पड़ता है । भू-संस्कार विभाग की वेबसाइट के अनुसार यह तालाब राम प्रसाद पुर मौजा का हिस्सा है जिसका जे एल नंबर – 51 है और प्लाट नमबर – 26 है। वेबसाइट में दर्ज विवरण के अनुसार इस प्लाट में खतियान नंबर 3984 – तपन मंडल, 3958 – शांतिमय मंडल , 3986 जितेंद्र मंडल एवं अन्य के नाम हैं। जमीन का परिमाण एक एकड़ है। जमीन की श्रेणी “डाँगा” के रूप में दर्ज है।

क्या कहता है  कानून …..?

हालाँकि “डाँगा” तालाब की श्रेणी से अलग है और इसका श्रेणी परिवर्तन करने की अनुमति है लेकिन मतस्य कानून के अनुसार कोई भी जमीन जो जिसका परिमाण 5 कट्ठा (0.035 ) एकड़ हो और उसमें साल में काम से काम छः महीने तक पानी जमा रहता हो तो उसे तालाब ही माना जायेगा और वह चाहे सरकारी हो या निजी उसमें मतस्य पालन होगा और उसका श्रेणी परिवर्तन नहीं होगा। साथ से विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे भू-भाग में मतस्य-पालन सुनिश्चित करें। ऐसे भू-भाग को भर देना कानूनन जुर्म है और दो साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है साथ ही आरोपी उस भू-भाग को पहले के स्वरूप में लाने के लिए भी बाध्य होता है अर्थात उसकी फिर से खुदाई करके उसे तालाब बनाना होता है।

अंडाल में अब तक दर्जनों या उससे भी अधिक तालाब भर दिए गए। कुछ मामले में नोटिस भी जारी हुए हैं और कुछ पर मुकदमा भी है लेकिन अभी तक किसी भी मामले में भरे गए तालाब को पहले के स्वरुप में नहीं लाया गया है।

अंडाल उत्तर बाजार के पीछे स्थित इस तालाब क हिस्से को भर दिया गया , आरोपी और जुर्म पकड़े  जाने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही

अब नीचे के इस उदाहरण को देखिये जो तालाब श्रेणी का मामला है। यह भू-भाग सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार तालाब ही है लेकिन फिर भी इसके बड़े हिस्से को भर दिया गया है। उसकी बाउंड्री कर दी गयी है और अब उस पर मकान बनाने की तैयारी चल रही है।

तालाब के एक हिस्से को भर दिया गया और उसमें बाउंड्री वाल बना दी गयी।

ऊपर का तालाब अंडाल ब्लॉक के दीर्घनाला मौजा का है , जिसका प्लाट नंबर 534 है।  यह तालाब अंडाल उत्तर बाजार के पीछे स्थित है और अंडाल थाना से महज दो सौ मीटर और भू-दफ्तर से करीब दो कि ० मी ० की दूरी पर स्थित है।

अपने जांच रिपोर्ट में दफ्तर ने जुर्म और आरोपी के बारे में लिखा है पर कोई कार्यवाही नहीं हुई

करीब तीन साल पहले  भू – विभाग ने अपने रिपोर्ट में इस  भू भाग को तालाब घोषित किया है और इसे भर दिए जाने के लिए अंडाल उत्तर-बाजार निवासी प्रदीप केशरी और शुशीला केशरी को दोषी भी पाया है।  लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी दोनों आरोपियों पर न तो कोई कार्यवाही हुई न बाउंड्री वाल गिराया गया और न ही भर दिए गए हिस्से अपने पहले स्वरुप में लाया गया।

इस खबर को मंडे मॉर्निंग ने पहले भी प्रकाशित किया था और अनुमंडल भू- दफ्तर द्वारा इस भू भाग को पुराने स्वरुप में   लाने  और दोषी पर कार्यवाही का आदेश भी जारी हुआ था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।

इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कानून व्यवस्था की अंडाल में क्या स्थिति है।  जब इतने ठोस मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई तो ऊपर के मामले में क्या कार्यवाही होगी इसे आसानी से समझा जा सकता है।   फिर भी अपने पत्रकारिता धर्म के तहत मंडे मॉर्निंग लगातार पाठकों को अवैध तालाब भराई की ख़बरें देता रहता है और देता रहेगा।

इस मामले में भू विभाग की रिपोर्ट , जिसमें जुर्म भी प्रमाणित है और आरोपी भी , लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

भू माफियाओं  के चंगुल में फंसा है अंडाल

 

अंडाल में रिहायसी जमीन इतनी मंहगी है कि लोग इस तरह के अवैध रूप से भरे गए तालाब को खरीद लेते हैं और उसपर लाखों रुपया खर्च करके मकान भी बना लेते हैं। जमीनों की बढ़ती मांग और लचर कानून व्यवस्था तथा स्थानीय नेताओं की मिली भगत ने इन तालाब माफियाओं के हौसले बुलंद कर रखे हैं और वे नित नए तालाबों को भरे जा रहे हैं।

जिस रफ़्तार से अंडाल में तालाब भरे जा रहे हैं उस रफ़्तार आने वाले मात्र पांच वर्षों के भीतर अंडाल से तालाब का अस्तित्व ही मिट जाने का खतरा है।

पश्चिम बर्धमान जिले का अंडाल क्षेत्र , यह  रानीगंज विधानसभा और आसनसोल लोकसभा के अंतर्गत आता है।  वर्तमान समय में इस  क्षेत्र  पर तालाब माफियाओं का इतना दबदबा है कि इनके सामने डीएम , एसडीएम के आदेशों का भी कोई असर नहीं है।

इस क्षेत्र के आधे से अधिक तालाब भर दिए जा चुके हैं , वहां मकान बन गए हैं।  कुछ मामलों में नोटिस जारी हुई है , जिलाध्यक्ष तक के आदेश आये हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं और ज्यादातर मामले में तो किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी।

मंडे मॉर्निंग पिछले कई वर्षों से लगातार अवैध रूप से कब्ज़ा होते तालाबों पर लिखता आया है , मंडे मॉर्निंग पर छपी ख़बरों के आधार पर कुछ मामले में नोटिस भी जारी हुए पर आज तक ठोस कार्यवाही नहीं हुई नतीजा इन तालाब माफियाओं का मनोबल दिनों-दिन बढ़ता चला गया।  दिन के उजाले में बड़े-बड़े डम्परों से तालाब भरे जाते रहे और जिम्मेवार अधिकारी तथा इलाके के नेतागण आँखों पर पट्टी बांधे धृतराष्ट्र बने रहे।

दिन के उजाले में तालाब को भरते हुए देखिये। यह तालाब भी उत्तर बाजार में ऊपर वर्णित तालाब के बगल में हैं। यह तस्वीर करीब तीन वर्ष पुरानी है , वर्तमान समय में यहाँ एक बड़ी ईमारत खड़ी है , कोई कार्यवाही न होनी थी और न हुई

कहने की कोई आवश्यकता नहीं है सत्ता परिवर्तन के बाद से तालाब भराई के कामों में बहुत तेजी आयी है।  इन सात-आठ वर्षों के भीतर वर्तमान समय में अंडाल क्षेत्र के आधे से अधिक तालाब भर दिए जा चुके हैं और बाकियों को भी चुनाव की घंटी बजने से पहले भर लेने की पूरी तैयारी है।  नेता-अधिकारी और माफियाओं के सांठ-गाँठ पर नए से कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है. पाठक बेहतर जानते हैं।

प. बंगाल की मुखिया चुनाव के गिरते जनाधार को लेकर चिंतित है और जनता को लुभाने के लिए नित नए तरीके आजमा रही है। प. बर्धमान जिले के तृणमूल कांग्रेस के मुखिया भी नगर-नगर भ्रमण कर के आम जनता से गलतियों की माफ़ी मांग रहे हैं और चुनाव में  बहुमत दिलाने की अपील कर रहे हैं। लेकिन असल कारण को समझे बिना प्रचार-प्रसार में लाखों खर्च करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

सत्ताधारी नेताओं – अधिकारियों और तालाब माफियाओं के मिलीभगत से द्रुत गति से भरे जा रहे तालाबों के कारण अंडाल की जनता में काफी रोष है। गिरते भू-जल स्तर और पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण लोगों में रोष और भी अधिक बढ़ा है। इस बात की जानकारी यहाँ के स्थानीय नेता अपने शीर्ष नेताओं को देते ही नहीं है।

Last updated: नवम्बर 13th, 2019 by News-Desk Andal
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