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विकलांगता को पराजित कर अनन्या बनी स्कूल टॉपर

करत-करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान । रसरी आवत-जात ते, सिल पर परत निशान। महाकवि पण्डित तुलसी दास की इस रचना से भी दो कदम ऊपर उठकर, अनन्या ने विकलांगता को भी आज पराजित कर दिया है।

75% शारीरिक रूप से असक्षम अनन्या सिकदर ने माध्यमिक(सीबीएसइ)बोर्ड परीक्षा में 98% अंक प्राप्त कर डीएवी रूपनारायणपुर टॉपर में अपना नाम दर्ज कर लिया है ।

अनन्या की इस उपलब्धि से क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ,घर पर बधाई देने वालों का ताँता लगा है । हाथ में पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा निर्गत प्रशंसा पत्र लिए अनन्या की ललाट पर खुशी की आभा आज विकलांगता को कोसो दूर छोड़ चुकी है ।

रूपनारायणपुर दुर्गा मंदिर के समीप रहने वाली अनन्या सिकदर की माँ अनिमा सिकदर आंगनबाड़ी कर्मी है, जबकि पिता बीमा कंपनी में एजेंट है । माता पिता की इकलौता संतान अनन्या जन्म से ही विकलांग है ।

माँ अनिमा सिकदर बताती है कि अनन्या में अदम्य इच्छाशक्ति है । जन्म के बाद अनन्या का काफी इलाज कराया कुछ सुधार हुआ, किन्तु पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो पाई,ऐसे में आखिरी तक हम दोनों पति पत्नी अनन्या को मनोबल बढ़ाते रहे, कहते थे, बेटी दुनिया में ऐसे बहुत से लोग है, जो तुम से भी ज्यादा मजबूर है, तुझमे तो मामूली सी बीमारी है,तुम्हें बहुत पढ़ना है और आगे बढ़ना है । इन्हीं शब्दों को अनन्या ने अपना सफलता का सूत्र बना लिया ।

कहते है कुछ झूठ ऐसा भी होता है जो सच्चाई से भी बढ़कर होती है, यह झूठ था जो अनन्या के माता पिता ने बचपन से उन्हें कहा था, किन्तु अब अनन्या 15 वर्ष की हो चुकी है और विकलांगता उनकी जीवन में कोई मायने नहीं रखती है । वो पढ़ लिखकर इंजिनियर बनना चाहती है । अनन्या का दाहिना हाथ की अंगुली बिल्कुल काम नहीं करता है । बाया हाथ की महज तीन अंगुली से ही वह लिखती है । परीक्षा में 98% अंक प्राप्त करने के बाद अनन्या के स्कूल शिक्षक भी उनके घर पहुँचकर उन्हें बधाई दी, और मिठाई खिलाये, पास में ही बैठे माता पिता आँखों से छलकते हुए खुशी के आँसू भी बेटी से छुपाकर बहा रहे थे ।

Last updated: मई 15th, 2019 by Guljar Khan