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अमृत पान करने वाली रानीगंज की जसरमन कौर हुई सम्मानित

जसरमण कौर

रानीगंज । छात्रा जसरमन कौर को रविवार को पानागढ़ गुरुद्वारा में धार्मिक समारोह के दौरान पंज प्यारे द्वारा अमृतपान कराया गया। रानीगंज पंज प्यारों ने कहा कि अमृत पान करने वाले सिख को अमृतधारी सिख भी कहते हैं, अमृत पान करने के बाद हर समय लोगों को पंच ककारों में सुशोभित रहने का नियम है, प्रतिदिन नितनेम का पाठ करना, केशों का कत्ल नहीं करना ,गुरु ग्रंथ साहिब के अतिरिक्त देहधारी गुरु को नहीं मानने का संकल्प दिलवाया। रानीगंज गुरुद्वारा के ज्ञानी परमजीत सिंह ने छात्रा जसरमन कोर को अमृतपान करने के लिए शाबाशी दी एवं उन्हें सम्मानित किया और कहा कि जगति ज्योति गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को पाँच ककार भी देकर गए हैं यह एक पूर्ण सिख द्वारा धारण किए जाते हैं । एक ऐसा सिख जिसने गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा प्रदान किए गए ‘खंडे बाटे’ का अमृतपान किया हो और नियमानुसार सिख धर्म का पालन कर रहा हो ।ज्ञानी परमजीत सिंह ने बताया कि अमृत पान करके सिख खालसा खोज का हिस्सा बन जाता है ।अमृतपान के पश्चात उस का तन ,मन,धन सब परमेश्वर को सौंप दिया जाता है। और वह सिर्फ सच का प्रचार करेगा ,सब विकारों से दूर रहेगा अमृतधारी सिख पाँच ककार भी धारण करता है जो इस प्रकार है कंघा, कड़ा ,कच्छारा, कृपाण ,एवं केश। अमृत पान करने के पश्चात जस रमन कौर ने बताया कि उसके दादा स्वर्गीय ज्ञान सिंह वाधवा जो कि बहुला गुरुद्वारा के संस्थापक अध्यक्ष थे उनके आदर्श से ही आज अमृत पान करके खालसा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

Last updated: जून 3rd, 2018 by Raniganj correspondent