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विशुनदेव नोनिया पर आरोप : जिला परिषद सदस्य को को-ओपरेटिव से मोह क्यों ?

को-आॅपरेटिव सोसाइटी पर भारी गड़बड़ियों का आरोप

आगामी 30 जुलाई को होने वाले खास काजोड़ा कोलियरी को-आॅपरेटिव सोसाइटी चुनाव से पहले चुनाव मैदान में उतरे बीएमएस के काजोरा एरिया अध्यक्ष जीत मुहम्मद ने वर्तमान एवं इससे पूर्व के सोसाइटी बोर्ड पर गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए है। सोसाइटी पर भारी गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुये खास काजोड़ा बीएमएस के अध्यक्ष जीत मुहम्मद ने कहा कि को -आॅपरेटिव लोन लेने पर रिश्वत ली जाती है। उन्होंने कहा कि को-आॅपरेटिव के आय-व्यय का आज तक हिसाब नहीं दिया गया है। लोन के लिए ब्याज भी बहुत अधिक लिया जाता है। उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि कोई यदि 5 लाख का लोन लेता है तो 1 लाख रुपया काट कर मात्र चार लाख रुपया ही दिया जाता है जबकि ब्याज 5 लाख का लिया जाता है।

आय -व्यय का कोई हिसाब नहीं

जब उनसे पूछा गया कि जो ब्याज को-आॅपरेटिव लेती है उसका मुनाफा तो सदस्यों को मिलता होगा। इस पर उन्होंने कहा कि सदस्यों को कोई भी लाभ नहीं मिलता है। मिलता है भी तो बहुत नाम मात्र का। कभी कंबल बाँट देते हैं, कभी बाल्टी और कभी कटोरा पकड़ा देते है। सोसाइटी के पैसे से एंबुलेंस खरीदा गया पर उसके लिए भी सदस्यों की किराया देना पड़ता है। जबकि सोसाइटी के सदस्यों को इसे केवल तेल खर्च पर दिया जाना चाहिए था। इस एंबुलेंस से अब तक कितना आय और कितना व्यय हुआ है इसका भी कोई हिसाब नहीं दिया गया।

इलैक्शन नहीं होने देना चाह रहे थे, सेटिंग करके सेलेक्सन चाहते थे

उन्होंने कहा कि आईएनटीटीयूसी और एचएमएस मिलकर आपस में सेटिंग कर लेना चाहते थे कि चुनाव न हो । उनकी आपसी बात नहीं बनी और चुनाव तय हो गया है। लेकिन बीएमएस शुरू से ही चुनाव पर अडिग था और यदि इसके लिए हाई कोर्ट भी जाना पड़ता तो हम जरूर जाते।

जिला परिषद सदस्य को को-आॅपरेटिव चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है ?

किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि एक जिला परिषद के सदस्य को को-आॅपरेटिव सदस्य के बहुत मामूली पद के लिए चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है। आखिर क्या मोह है कि वे कुर्सी छोडना नहीं चाहते हैं।

विशुनदेव नोनिया पर लगाए आरोप

हालांकि जीत मुहम्मद ने नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा काजोड़ा क्षेत्र से नव निर्वाचित जिला परिषद सदस्य विशुनदेव नोनिया की ओर था । गौरतलब है कि इस चुनाव में विशुनदेव नोनिया भी भाग ले रहे हैं और को-आॅपरेटिव के वर्तमान बोर्ड के वे सदस्य भी हैं और इससे पहले के बोर्ड के भी सदस्य रहे हैं। कुल मिलाकर पिछले 15 वर्षों से वे इस को-आॅपरेटिव पर राज करते आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने विशुनदेव नोनिया को निशाना बनाकर आरोपों की झड़ी लगा दी।

एटक ने भी आरोपों को सही ठहराया

एटक के काजोड़ा एरिया सचिव तपन कुमार पाल (हाजिरी बाबू ) ने भी जीत मुहम्मद द्वारा लगाए गए आरोपों को सही ठहराया और कहा यद्यपि यह चुनाव गैर राजनीतिक है फिर भी उन्हें यह मालूम चला था कि एचएमएस और आईएनटीटीयूसी आपस में समझौता कर लेंगे और चुनाव नहीं होगा इसलिए एटक ने एक भी प्रत्याशी चुनाव में नहीं उतारा है। अब उन्होंने अपने समर्थकों से अच्छे प्रत्याशी को वोट देने की अपील की है।

विशुनदेव नोनिया ने नहीं दिया कोई जवाब

यहाँ पर जीत मुहम्मद ने जो सवाल उठाए हैं वे गौर करने लायक है। बोर्ड आय-व्यय का हिसाब नहीं देती है जबकि आय व्यय का हिसाब तो सभी संस्थान के लिए देना अनिवार्य है। उन्होंने तो लोन आवंटन में कमीशन खाने के भी आरोप लगा दिये जो कि काफी गंभीर है। सदस्यों को उनका उचित बोनस नहीं मिलता है। इससे स्पष्ट है कि को-आॅपरेटिव में वित्तीय अनियमितता है। हमने विशुनदेव नोनिया से इन आरोपों पर उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

हर पाँच वर्ष में होते हैं को-आॅपरेटिव के चुनाव

सभी कोलियारियों में मजदूरों की को-आॅपरेटिव सोसाइटी होती है जिसमें मजदूर कुछ नियमित रकम जमा करते हैं । जिस पर उन्हें कुछ ब्याज भी मिलता है। फिर उसी जमा रकम में से किसी मजदूर को जरूरत पड़ने पर लोन दिया जाता है । ब्याज के रूप में होने वाली आमदनी फिर सभी मजदूरों में बोनस के रूप में बाँट दी जाती है। सेवा निवृत होने पर या उससे पहले भी मजदूर जब चाहे अपनी जमा रकम को निकाल सकते हैं। को-आॅपरेटिव के सफलता पूर्वक संचालन के लिए हर पाँच वर्ष में एक बोर्ड का गठन होता है। बोर्ड ही को-आॅपरेटिव के सभी छोटे-बड़े फैसले लेती है। बोर्ड का गठन या तो आपसी सहमति से हो जाता है या फिर चुनाव के जरिये। बोर्ड के सदस्य का पद पूर्ण अवैतनिक होता है।

26 करोड़ की पूंजी पर सबकी निगाह

को-आॅपरेटिव के ही एक जानकार सदस्य ने बताया कि वर्तमान समय में खास-काजोड़ा -को-आॅपरेटिव सोसाइटी की कुल पूंजी करीब 26 करोड़ रुपए हैं। इसी पूंजी पर सबकी निगाह है। यही कारण है कि इलाके के सभी मजदूर संगठन के कर्णधारों ने अपना नामांकन भरा है। गौरतलब है कि इस चुनाव में आईएनटीटीयूसी के काजोड़ा एरिया सचिव तापस सेन गुप्ता , बीएमएस के काजोड़ा एरिया अध्यक्ष जीत मुहम्मद और एचएमएस के काजोड़ा एरिया सचिव प्रताप कुमार ने अपना पर्चा भरा है और सबसे ऊपर तृणमूल सह एचएमएस के नेता एवं जिला परिषद सदस्य विशुनदेव नोनिया ने भी अपना पर्चा भरा है।

सोसाइटी में जमा यह पूंजी सोसाइटी के सदस्यों की है। एवं उनके जमा पूंजी के साथ कुछ भी गलत नहीं होना चाहिए। कोलियरी प्रबंधन को भी इस विषय में गंभीर होना चाहिए कि उनके श्रमिकों के मेहनत के पैसे को कोई नुकसान न पहुँचे।

त्रिकोणीय हो गया है पूरा मुक़ाबला, 9 सीट के लिए कुल 25 सदस्यों ने भरा है पर्चा

यूं तो को-आॅपरेटिव का चुनाव गैर राजनीतिक होता है लेकिन पर्दे के पीछे से सभी राजनीतिक पार्टियाँ और उसमें मजदूर संगठन इसमें शामिल होते हैं। चुनाव से बचने के लिए दो बड़े संगठन एचएमएस और आईएनटीटीयूसी द्वारा समझौते की भी खबर है लेकिन बात नहीं बनने के कारण चुनाव की नौबत आन पड़ी और अब इसमें आईएनटीटीयूसी ने अपने 9 प्रत्याशी, एचएमएस ने 9 प्रत्याशी और बीएमएस ने 7 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं जिससे पूरा मुक़ाबला अब त्रिकोणीय हो गया है।

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Last updated: जुलाई 18th, 2018 by Pankaj Chandravancee