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कृषि बिल के विरोध में फूंका गया कृषि मंत्री का पुतला

साहिबगंज। किसानों के पक्ष में तथा केंद्र सरकार के कृषि कानून के विरोध में सर्वप्रथम एक बैठक राष्ट्रीय मजदूर संघ के अनिल कुमार ओझा की अध्यक्षता में की गई। तत्पश्चात एक रैली निकाल कर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का पुतला जुलूस निकाला गया। यह जुलूस शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरकर पटेल चौक पहुँचा जहाँ केंद्रीय कृषि मंत्री का पुतला दहन किया गया।

मौके पर जिला अध्यक्ष अनिल ओझा ने कहा कि यह कृषि कानून सिर्फ किसान विरोधी ही नहीं हैं, बल्कि मजदूर एवं छोटे-मोटे व्यवसाई तथा गरीब विरोधी भी है। जब सरकार चावल, गेहूँ सहित अन्य खाद्य पदार्थ का क्रय नहीं करेगी, तो इसका साफ मतलब है कि आत्मनिर्भरता का प्रचार करने वाली मोदी सरकार 82 करोड़ गरीबों का राशन कुछ महीनों बाद बंद कर देगी। यह सबसे बड़ी साजिश केंद्र सरकार द्वारा रची गई है। किसान अब बंधुआ मजदूर बन जाएँगे। अपने जमीन पर उद्योगपतियों के पैसों से खेती करने का साफ मतलब है कि किसान अब स्वतंत्र नहीं होंगे।

आगे उन्होंने कहा कि धारा 3 का सेक्शन 3 कहता है कि साझा एग्रीमेंट किसान एवं उद्योगपति के बीच होगा। जिससे किसान बंध जाएँगे तथा मजबूर एवं विवश होकर अपनी फसल को कहीं और बेच भी नहीं पाएंगे।

दूसरी तरफ छोटे-मोटे व्यापारी, यथा मंडी के अनाज व्यापारी, राशन दुकानदार, कीटनाशक बेचने वाले सभी बेरोजगार हो जाएँगे।

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पहले से ही 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। आगे उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी विकास दर 23% नीचे चली गई, और 60% देश के किसानों को यह सरकार आतंकवादी बना रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दो करोड़ नौकरी, काला धन, जन लोकपाल, माँ गंगा कह कर एवं झूठ बोलकर देश को गुमराह किया जा रहा है। इसीलिए जब तक देश के किसानों के हित में कृषि बिल वापस नहीं होता, तब तक किसान आंदोलन को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि आंदोलन को और धारदार बनाते हुए तेज किया जाएगा।

बैठक, रैली एवं पुतला दहन के इस कार्यक्रम में किसान नेता दिलीप यादव, रामचंद्र यादव, बास्की नाथ यादव, जनार्दन यादव, जमुना यादव, जिला सहकारिता विभाग कॉंग्रेस अध्यक्ष संजय प्रसाद, ओबीसी कॉंग्रेस चेयरमैन अमरदीप सिंह, प्रखंड अध्यक्ष अजय यादव, मोहम्मद हाजी रहीम, मोहम्मद शफीक आलम, पंकज गौड़ सहित सैकड़ों मजदूर एवं किसान शामिल हुए।

Last updated: फ़रवरी 12th, 2021 by Sanjay Kumar Dheeraj