इस नए कानून से हर आदमी की जासूसी करेगी मोदी सरकार- अभिषेक मनु सिंघवी

कॉंग्रेस मुख्यालय में आज एक प्रेस वार्ता में डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रस्तावित इनफॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी इंटरमीडियरी गाइडलाइनस अमेंडमेंट रुल का विरोध किया एवं कहा कि आज हमारी सरकार जासूस बन गयी है और गैरकानूनी तरीके से सबकी जासूसी करने में जुटी है।

उन्होंने कहा कि ये प्रस्तावित रुल क्या चीज है, क्यों है ? अभी तक किसी रूप से जनता जनार्दन के समाने वार्तालाप के लिए या विरोध प्रकट करने के लिए किसी भी वेबसाईंट वगैरह में नहीं रखी की गई है।

इस कानून से गोपनियता का अधिकार का उल्लंघन होगा

उन्होंने बताया कि इसके अंतर्गत जो रुल हैं, जिन्हें कहा जाता है, ‘द इंटरमीडियरी रुलस’ 2011, उसके अंतर्गत अगर ऑटोमैटिक्ली हर इंटरमीडियरी को, इंटरमीडियरी मतलब होता है -सर्विस प्रोवाईडर, वाट्सअप हो, फेसबुक हो, सिग्नल हो, टैलीग्राम हो, कोई भी हो, इसके अंतर्गत सबका आधिकारिक कानूनी कर्तव्य बन जाएगा कि वो टेक्नॉलॉजी के वे सब सिस्टम रखेंगे, जिसके अंतर्गत उन्हें बताना पड़ेगा, संदेश भेजने वाला और संदेश जिसे मिलने वाला हो वो और विशेष रूप से क्या संदेश हो और उसका विशेष रूप से वो खुलासा कर सके।

इंटरनेट पर , किसी भी सोशल साइट्स पर यूजर द्वारा भेजी गयी या प्राप्त की गयी हर सूचना को डिकोड करने का अधिकार होगे। भेजने वाले और प्राप्त करने वाले की पूरी जानकारी सरकार जब चाहे प्राप्त कर सकती है । इस देश में प्राईवेसी नाम की तो कोई चीज ही नहीं छोड़ेंगे, अगर ये लागू होता है तो। स्वतंत्र, स्वछंद भावना प्रकट करने का जो मानवाधिकार है, हमारे अनुच्छेद-19 में, उसका लेशमात्र भी कहाँ बच जाता है, ये प्रश्न पूरा देश पूछेगा।

बड़े-बड़े दुरुपयोग होंगे

उन्होंने कहा कि इसके दुरुपयोग का कोई अंत नहीं है? एक उदाहरण लीजिए, आप एक पत्रकार हैं, आपके सोर्सिस हैं, आपने अपने सोर्स का जिक्र करते हुए सोर्स से बात की, वाट्सअप में कनेक्ट करें, टेलीग्राम में करें, सिग्नल में करें, इससे फर्क नहीं पड़ता, आप अपने सोर्स से बात कर रहे हैं, उसकी कोई गोपनीयता नहीं है। आप कुछ भी बात कर रहे हैं, अगर राजनीतिक रूप से वो किसी को सूट नहीं करती है तो ये आदेश इसके अंतर्गत आ सकता है। राजनीतिक पार्टी है, आज ये किसी प्रेस वार्ता के बारे में मुझे कुछ इंस्ट्रक्शन दे रहे हैं, उसकी क्या गोपनीयता है? ये तो बहुत सरल उदाहरण हैं। इससे ज्यादा कई और बड़े उदाहरण हो सकते हैं ।

और स्पष्ट करते हुये कहा कि हम कोई अश्लील या बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफिक मटेरियल की बात नहीं कर रहे हैं, जो कानूनी प्रतिबंधित हो, ये उसकी बात नहीं हो रही है। कोई भी इनफोर्मेशन, संदेश आप भेज रहे हैं, उसकी बात कर रहे हैं।

सरकार देश की  हर जनता को चोर समझती है

उन्होंने कहा कि इस कानून से सरकार की मंशा और सोच प्रकट होती है, सरकार की सोच का तौर-तरीका प्रकट होता है, उसकी दिशा एक ही है, सरकार को डर  है कि सब चोर हैं। सभी अपराधी हैं। सबको संदेह की नजर से देखना, सबको एक डरा कर रखना, ये डिक्टेटरशिप मॉडल है और डिक्टेटरशिप मॉडल कई बिंदुओं में, कई पहलुओं में आजकल मोदी मॉडल सही रूप से कहलाया जा रहा है।

नमो ऐप और आधार डाटा लीक का मामला याद दिलाया

उन्होंने कहा कि आपको ‘नमो’ एप याद है, सहायता देने के नाम पर 22 बिंदुओं पर आपसे इनफोर्मेशन, सूचना कलेक्ट कर रहे थे। आपको आधार की कहानी मालूम है, उसमें शुरूआत में सरकार का क्या स्टेंड था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कैसे उसके जो आपत्तिजनक मूल प्रावधान हैं, उनको स्ट्राइक डाउन किया, लेकिन अंततोगत्वा तब तक सरकार ने उसका समर्थन किया, जब तक वो हारी नहीं।

पंजाब नेशनल बैंक के विषय में डेटा ब्रीच, 23 फरवरी, 2018 जिसमें 10,000 कस्टमर के डेटा लीक हुए थे। नंवबर, 2017 यूआईडीए ने माना था कि 210 सैंट्रल और स्टेट गवर्मेंट वेबसाईंट ने पब्लिकली डिस्प्ले किए थे आधार बैनिफिशरी के नाम और एड्रैस।

इसके अलावा संसद में डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल लंबित है। डीएनए टेक्नोलॉजी यूजर एप्लिकेशन रेगुलेशन बिल, बहुत लुके-छिपे तरीके से उसको पारित करने का प्रय़त्न किया जा रहा है और उसके विषय में हमने कई विरोध लिए हैं और यहाँ से भी हमने उसका विरोध लिया है तो उसको सामूहिक रूप से देखें, एक होलिक दृष्टि से देखें। तो यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार एक निगरानी तंत्र के रूप में स्थापित होने का प्रयास कर रही है।

Last updated: दिसम्बर 24th, 2018 by Rizwan Raza

Rizwan Raza
Bureau , New Delhi
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