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माँ तेरे कितने है रूप..अपना दूध पिलाकर एक माँ पाल रही है नवजात कुत्ते को

कुछ खाने को दे दो बाबू मुन्ना बहुत भूखा है,….
चल हट पगली मांगती है मुन्ना के नाम पर और खाती खुद है,…..
नहीं बाबु सच बोल रही हूँ,…….
तो कहाँ है तेरा मुन्ना… ?
ये है न मेरा मुन्ना जो मेरी गोद में है,…
चल भाग पगली ये तो कुत्ता का बच्चा है (सभी हंसते हुए ) ……

कुत्ता का बच्चा मत बोलना , ये मेरा बेटा मुन्ना है

यह शब्द सुनते ही वह आग बबूला हो जाती है और उनके आँखों से अश्रु धारा फूट पड़ती है| यह दृश्य मैथन डैम स्थित पिकनिक स्पॉट का है जहाँ पर सैलानियों से वह भीख मांगने पहुंची थी| तभी कुछ लोग आपस में बात करते है ये कोई पगली है जो कुत्ते के बच्चे को अपना बच्चा बोल रही है.

माँ की ममता अब और अपमानित नहीं होना चाहती थी………

अपने मुन्ने के साथ भीख मांगती एक मां

वह जाने लगी तभी एक बाबु ने उन्हें आवाज़ देकर एक बिस्कुट की पेकेट थमा दी,….
लो खा लो …..
किन्तु वह खुद न खाकर मुन्ने को बिस्किट खिलाने लगी. अब वो कभी मुन्ना को बिस्कुट खिलाती तो कभी उसके सर को चूमती.

….यह व्याकुल कर देने वाला नज़ारा सभी लोग देख रहे थे

मैली कुचली साड़ी पहने एक भिखारन अपने गोद में मुन्ना ( कुत्ते का पिल्ला) को बांधे सड़कों पर भीख मांग रही थी| देखने से उम्र ज्यादा नहीं लग रही थी पर वह एक अभागिन मां थी.  क्या वास्तव में वह कोई पगली थी जो हर रोज रूपनारायणपुर, देन्दुआ, कल्याणेश्वरी, मैथन डैम आदि इलाको में कुत्ते के एक पिल्ले को गोद में लेकर भीख मांगती है. और तो और अपना दूध भी पिलाती है| मानव और जीव के  बीच ममता और मानवता का ऐसा अटूट रिश्ता शायद ही कभी दिखी हो.

नाम क्या है तुम्हारा …..?
नाम तो मालूम नहीं बाबु . किसी भी नाम से बुला लो बाबु…..हर कोई अलग -अलग नामों से बुलाता है.

……दृश्य ने वास्तविकता जानने की जिज्ञासा बढ़ा दी थी.

सड़को पर भीख मांगने वाली यह युवती कोई पगली नहीं है,…वो तो बस ममता के आगे एक बेबस एक माँ है. कुछ दिन पूर्व उसने एक बेटे को जन्म दिया था, संयोगवश बीमार होकर नवजात बच्चे की मौत हो गई, तब से वह भी पुत्र वियोग में रो-रो कर बीमार हो गई, बच्चा खोने देने के दुःख ने उसकी ममता को खंड-खंड कर डाला था.

मृत्यु द्वार पर खड़ी उस मां को किसी ने एक कुत्ते का पिल्ला थमाकर बोला ,….ये लो तुम्हारा बेटा लौट आया है .

यह शब्द कोई चमत्कार से कम नहीं था , वह फूली नहीं समा रही थी …..अपने बच्चे को पुनः पाकर उसे चूमती रही, कुछ ने कहा पागल हो गई , तो कुछ ने बावली, किन्तु कुछ भी हो एक माँ की अकल्पनीय प्रेम को परिभाषित करने के लिए शब्द कम पड़ रहे थे.

एक बेजुबान जीव भी अब उसे ही अपनी माँ ही समझता है

कभी उसकी गोद में अठखेलिया करता तो कभी आंचल में छुप जाता, कभी दूध पीने की जिद करता…माँ गुस्सा करती तो मुन्ना बिलकुल शांत हो जाता…उसके द्वारा दिया हुआ खाना मुन्ना बड़े ही चाव से खाता है , सड़क पर मुन्ना को खाते देख बजारू कुत्ता उनके भोजन को झपटने का प्रयास करता है…….किन्तु मां भी घायल शेरनी की तरह आवारा कुत्तो को सबक सिखाने से नहीं चुकती है ….

अब शाम ढलने वाली थी माँ और मुन्ना बिस्किट खाते हुए अपनी मंजिल की और बढने लगी …मातृत्व की चमक और ममता का भाव एक माँ के मस्तक पर साफ झलक रही थी|

Last updated: नवम्बर 17th, 2017 by Guljar Khan