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ईसीएल ने 92 कर्मियों को मेडिकल बोर्ड ने फिट अनफिट का परिणाम नहीं दिया

ईसीएल कर्मी हुए बेरोजगार

नियामतपुर -ईसीएल मेडिकल बोर्ड द्वारा परिणाम नहीं दिए जाने के कारण बीते ग्यारह महीनो से 92 ईसीएल कर्मी बेरोजगार की तरह जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ना तो उनका सही से इलाज हो पा रहा है और ना ही उनकी हाजरी बन रही है।जानकारी के अनुसार पूरे ईसीएल में 92 कर्मियों को मेडिकल बोर्ड ने फिट अनफिट का परिणाम नहीं दिया है। ये सभी श्रमिक बीमार बताये जाते हैं और इनकी हाजिरी नहीं बनने के कारण ये वेतन से भी वंचित हैं। बीमारी से त्रस्त ये कार्य करने में भी अक्षम हैं। बेहतर इलाज के लिए इन्हें बाहर रेफर भी नहीं किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इनमे से कई गंभीर बिमारी से पीड़ित है। सूत्रो के मुताबिक ईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों से 92 कर्मियों का एफेंक्स मेडिकल बोर्ड (शीर्ष चिकित्सकीय बोर्ड) द्वारा वर्ष 2017 में 16 से 19 मई तक मेडिकल जाँच हुआ था। जिसमें मेडिकल टीम ने सभी कर्मियों की जाँच की थी.लेकिन अभी तक उनका क्या हुआ इसका पता अभी तक उन्हें नहीं चल पाया है। जिसके कारण उक्त सभी कर्मी इलाज भी नहीं करा पा रहे है, ना ही उन्हें रेफर किया जा रहा है और हाजरी भी नहीं बन रही है । जिससे इन कर्मियों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है।कर्मियों के अनुसार कल्ला स्थित ईसीएल के सेंट्रल अस्पताल में जाँच के बाद सभी बीमार कर्मियों का रिपोर्ट ईसीएल मुख्यालय, संकतोड़िया स्थित मेडिकल बोर्ड को भेज दिया गया था. वहाँ मेडिकल टीम के सात चिकित्सकों ने सभी कर्मियों की जाँच की थी, लेकिन जाँच का रिपोर्ट अभी तक कल्ला अस्पताल में नहीं भेजा गया है, जिसके कारण उन बीमार कर्मियों को रेफर नहीं किया जा सकता और ना ही उन्हें फिट करार देकर दोबारा कार्य पर भेजा जा सकता है। कल्ला अस्पताल के डॉ.साहू ने बताया कि यहाँ कई ऐसे मामले आये थे, जिनका सारा रिपोर्ट मुख्यालय में भेज दिया गया था, लेकिन अभी तक वहाँ से किसी प्रकार का कोई भी लिखित जवाब नहीं मिला है, जिसके कारण बीमार कर्मियों की इलाज में बाधा हो रही है और उन्हें फिट बताना भी मुश्किल हो रहा है. जबकि कर्मियों में कई लोग कैंसर और किडनी जैसे भयंकर बीमारी से ग्रस्त है. इनमे से कई कर्मियों की मौत भी हो चुकी है. इस मामले में ईसीएल के निदेशक कार्मिक केएस पात्रा ने बताया कि इसकी जानकारी वो नहीं दे सकते है, लेकिन ऐसा नहीं कि उन कर्मियों को वेतन नहीं मिलता होगा. ईसीएल के सीएमएस विद्युत् गुहा ने कहा कि वे आधिकारिक नहीं है और जनसम्पर्क विभाग से जानकारी ले सकते है. लेकिन जब जनसम्पर्क विभाग से जानकारी मांगी गई तो कहा गया कि यह मेडिकल सम्बंधित मुद्दे है और इसपर श्री गुहा को ही जानकारी देनी चाहिए थी. हालाँकि पीड़ित कर्मियों ने कहा कि एफेंक्स मेडिकल बोर्ड में जाँच के चालीस दिन के अंदर रिजल्ट देने का प्रावधान है, लेकिन ग्यारह महीने बीत जाने के बाद भी रिजल्ट नहीं दिया है, ये सम्बंधित अधिकारियों की लापरवाही है, जिसका खामियाजा हमलोगों को भुगतना पड़ रहा है. बताया जाता है कि इस विषय को लेकर कर्मियों द्वारा 22 बार आरटीआई किया जा चुका है जवाब नहीं मिलने पर उच्च न्यायालय में गए और वहाँ से करीब 12 बार ईसीएल को नोटिस किया गया, लेकिन कोई हल नहीं हुआ. यदि जल्द ही इसपर कार्यवाही नहीं हुई तो मजबुरन हमलोगों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा.

Last updated: अप्रैल 23rd, 2018 by News Desk