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शिव भी शक्ति के बिना शव के समान हैं

फोटो: दुर्गापुर संवाददाता

शक्ति उपासना का महान पर्व “शारदीय नवरात्र ” से वातावरण गुंजायमान हो रहा है।

यह जानना आवश्यक है कि शक्ति क्या है ?

साधारणतया शक्ति शब्द का प्रयोग सांसारिक तथा आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में  होता है। वेदों, शास्त्रों ने भी  शक्ति की व्याख्या  विभिन्न प्रकार से की है। इसके बारे में वेद कहता है कि जीवात्मा की आत्मा, परमात्मा है और परमात्मा की आत्मा आदिशक्ति जगतजननी जगदंबा है।

शिव भी शक्ति के बिना शव के समान हैं

शक्ति के बारे में यहाँ तक कहा गया है कि शिव भी शक्ति के बिना शव के समान हैं इसीलिए शक्ति की उपासना अनिवार्य है।जीव जो चेतन है वह शक्ति पाकर ही है और माया जो चेतन जीव को भी अपने वश में किए हुए है वह भी शक्ति का ही कमाल है। यहाँ तक कि ब्र्म्ह जो निराकार से साकार रूप धारण करते हैं वह भी शक्ति के कारण ही संभव हो पाता है। इसलिए शक्ति कण-कण में समाया हुआ है। हमें इसकी उपासना जीवों के कल्याण के लिए अवश्य करनी चाहिए

“या देवी सर्व भूतेषु, शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्स्यै-नमस्तस्स्यै  नमो नमः ॥ “
श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित
“चक्रधर”

Last updated: अक्टूबर 11th, 2017 by Chakradhar Singh Chanchal