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युवा अधिकारी हताहत, थर्ड पीआरसी के मुद्दे पर सरकार से लड़ाई के मुड में

थर्ड पीआरसी पर विरोध जताते सीएमपीडीआईएल के युवा अधिकारी

खामियाजा सरकार और आवाम दोनों भुगतेगी

आसनसोल -कोल इंडिया लिमिटेड की इकाई सेन्ट्रल माईन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीच्युट लिमिटेड की आसनसोल स्थित क्षेत्रीय संस्थान में युवा अधिकारियों में विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि थर्ड पीआरसी से हताहत हुए कोल इंडिया लिमिटेड के युवा अधिकारी अब कोयला उत्पादन बंद करके सड़कों पर उतरकर आन्दोलन करने को बाध्य हो चुके है. यदि उनकी मांगो को शीघ्र ही नहीं माना गया तो इसका खामियाजा सिर्फ भारत सरकार को ही नहीं बल्कि पूरे आवाम को भुगतना पड़ेगा. कोल माइन्स ऑफिसर्स एशोसियेशन ऑफ़ इंडिया (सीएमओएआई) के सचिव टी.के. मित्रा ने कहा कि कोल इंडिया निदेशक मंडल और प्रबंधन के अलावा सीएमओएआई के सर्वोच्च प्रतिनिधि मंडल जो कि भारत सरकार के साथ हुए वेज समझौते में अधिकारीगणों का प्रतिनिधित्व कर रहा था

पैसा फंड में जायेगा लाभ कुछ नहीं

उसने दोहरी पद्धति अपनाते हुए सिर्फ कुछ अधिकारियों जोकि ई-6 और उसके उपर पे-वेतन पर कार्यरत है, सीएमपीएस के तहत फायदा पहुँचाने का जो कार्य किया है, वह बहुत ही निंदनीय है, जिसके तहत युवा अधिकारियों का 7 प्रतिशत इस फंड में जायेगा और इसका कोई भी लाभ उन्हें प्राप्त नहीं होगा. जो अधिकारीगण 5-6 वर्ष में सेवानिवृत हो जायेंगे उन्हीं को 45 हजार रुपये पेंशन भत्ता के रूप में दिया जायेगा. कोयला क्षेत्र में कार्य करने का जो सात प्रतिशत कोयला भत्ता मिलता था, उसको भी बंद कर दिया गया है. इसके उपरान्त भूमिगत खदानों में जो भत्ता दिया जाता था उसमें भी 3 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है. जो कि 15 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 12 प्रतिशत हो जायेगा.

थर्ड पीआरसी को जबरदस्ती लागू करना नहीं सहेंगे

इसके अलावा एलएलटीसी व एलटीसी आदि जैसे अन्य कई भत्तो को भी ख़त्म कर दिया जायेगा. डीपीई द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश का भी उलंघन किया गया है, जिसके अंतर्गत इस बात का स्पष्टीकरण पहले ही कर दिया गया था. हमारी अन्य महारथ्न कम्पनियों (ओएनजीसी, आइओसिएल, एचपीएल) के बराबर पे-स्केल करने की जो मांग थी उसको भी केंद्र सरकार नजरअंदाज करते हुए थर्ड पीआरसी को जबरदस्ती लागू करने का जो निर्णय लिया है वो हमलोग किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. ये लड़ाई हमारे अपने अधिकारों के लिए है और ये तब तक चलेगी जबतक हमारी सारी मांगे पूरी नहीं हो जाती है. भारत सरकार जो पूरे देश में बिजली पहुँचाने का स्वप्न देख रही है,

भूमिगत खदानों में कार्यरत लोगों की तुलना नहीं

हम उसका पूर्ण समर्थन करते है, किन्तु यदि हमारी रोजी-रोटी में कटौती करने भारत सरकार इस मुहीम को साकार करना चाहती है तो ये हरगिज मुमकिन नहीं होगा. हमारे पूर्व चेयरमेन गोपाल सिंह ने भी युवा अधिकारियों को अन्य महारथ्न कम्पनियों में पे-स्केल को देने का समर्थन करते हुए कहे थे कि जिस जोखम को उठाते हुए एक कोयला अधिकारी भूमिगत खदानों में कार्य करता है उसकी तुलना किसी और कार्य से करना असम्भव है और यदि पे-स्केल को अन्य महारथ्न कम्पनियों की तुलना में दिया जाता है, तो भी कोयले की कीमते बढाने की कोई आवश्यकता नहीं है और इससे कोल इंडिया लिमिटेड की आर्थिक स्थिति पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव या अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा.

दोहरे व्यवहार एवं विश्वास घात के परिणाम होंगे घातक

सरकार और सीआईएल प्रबंधन जो तानाशाही रवैया हमलोगों के साथ अपना रहा है वह नहीं चलने दिया जायेगा. समान स्थिति, समान वेतन की हमारी मांगो से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए. यदि इस दिशा में शीघ्र ही कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए तो कोलकाता चलो आन्दोलन की शुरूआत की जाएगी. हम ये दिखा देंगे की हमारे साथ किये जा रहे दोहरे व्यवहार एवं विश्वास घात के परिणाम कितने घातक साबित हो सकते है और इसकी पूर्ण जिम्मेवारी भरत सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन की होगी.

Last updated: अगस्त 10th, 2018 by News Desk