रानीगंज । गुरु तेग़ बहादुर जी महाराज का 346वाँ शहीदी दिवस रानीगंज गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की तरफ से रविवार को शिशु बागान मैदान में मनाया गया। अमृतसर से आए कीर्तन रागी भाई जतिंदर सिंह ने गुरु की वाणी कीर्तन के माध्यम से संगतो को सुनाकर निहाल किया। लखनऊ से आए कथावाचक बलजिंदर पाल सिंह ने गुरमत विचार प्रस्तुत किए एवं कहाँ की विश्व इतिहास में धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर जी का स्थान अद्वितीय है। इस्लाम कबूल न करने पर मुगल बादशाह औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर उनका सिर कलम करवा दिया था। इस दिन उनकी शहादत को याद करके हमें जुल्म और अन्याय का डटकर मुकाबला करने की प्रेरणा मिलती है।
मुगल बादशाह औरंगजेब चाहता था कि देश के सभी हिंदुओं को मुस्लिमों में परिवर्तित कर दिया जाए। इसके लिए उसके अधिकारियों ने लोगों को जबरन मुस्लिम बनाने के लिए सख्ती शुरू कर दी। धर्म बदलने के दबाव से परेशान कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने गुरु तेग बहादुर जी की शरण ली। गुरु जी की सलाह पर इन कश्मीरी पंडितों ने मुगल अधिकारियों से कहा कि अगर गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम को स्वीकार कर लेते हैं, तो वे भी बड़ी खुशी से मुस्लिम बन जाएँगे। यह सुनते ही औंरगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को गिरफ्तार करवा लिया।
3 महीनों से भी ज्यादा समय तक गुरु जी को बंदी बनाकर रखा गया। इस दौरान उन्हें लगातार मजबूर किया जाता रहा कि वे इस्लाम स्वीकार कर लें। उन पर तरह-तरह के अत्याचार किए गए। लेकिन गुरु जी ने इस्लाम स्वीकार नहीं किया। उन्हें डराने के लिए उनके सामने ही उनके 3 शिष्यों भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी को शहीद कर दिया गया। भाई मती दास जी को आरे से चीर दिया गया, भाई सती दास जी को रुई में लपेट कर आग में जला दिया गया और भाई दियाला जी को खौलते पानी में डालकर शहीद कर दिया गया। वे तीनों हँसते-हँसते शहादत क़ुबूल कर गए। जब गुरु तेग़ बहादुर जी फिर भी नहीं झुके, तो आखिर में औरंगजेब ने उनका सिर कलम करने का आदेश दे दिया। 11 नवंबर, 1675 इसवी को दिल्ली के चांदनी चौक पर उनका सिर कलम करवा दिया गया। शीशगंज नाम का गुरुद्वारा इसी जगह पर स्थापित है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष सरदार हरजीत सिंह बग्गा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर को ‘धर्म की चादर भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने मानवता को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। गुरू तेग बहादुर जी ऐसे साहसी योद्धा थे, जिन्होंने न सिर्फ सिक्खी का परचम ऊंचा किया, बल्कि अपने सर्वोच्च बलिदान से हिंदू धर्म की भी हिफाजत की। इस संसार को पून: ऐसे बलिदानियों की आवश्यकता है जिनसे प्रेरणा मिलती है। गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के चेयरमैन सरदार सुरेंद्र सिंह, मैनेजिंग कमिटी के पदाधिकारी हरजीत सिंह वाधवा, बलजीत सिंह बग्गा, मुख्य रूप से उपस्थित थे। शहादत दिवस के अवसर पर शिशु भवन मैदान में सिख वेलफेयर सोसाइटी की तरफ से रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया जिसमें 40 यूनिट रक्त संग्रह किया गया सिख वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक सुरजीत सिंह मक्कड़, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष सरदार जगदीश सिंह संधू, महासचिव तरसेम सिंह, निरसा गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सरदार मंजीत सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे। रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। टीएमसी माइनरोटी सेल की तरफ से जलपान का व्यवस्था की गई थी।