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लोक आस्था का महापर्व उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर हुआ सम्पन्न

उदयाचल सूर्य को नमन करती छठ व्रती

उदयाचल सूर्य को नमन करती छठ व्रती

आसनसोल :- लोक आस्था का महापर्व छठ व्रतियों द्वारा शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही सम्पन्न हो गया. पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित देश के अन्य भागों में इस मौके पर श्रद्धालुओं ने उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया.

नहाय खाय से शुरू होता है छठ पर्व

पर्व के पहले दिन ‘नहाय खाय’ से शुरू हुआ और गुरुवार की शाम अपनी रंगत में दिखा. नदियों, तालाबों और घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई. संगीत और भक्ति पूर्ण गीतों से वातावरण भक्ति के सागर में डूबा हुआ था. पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने ‘बहंगी’ को श्रद्धा और भक्ति से सजाया था. बांस से बने डेंगची और सूप में नारियल, मेवा, हल्दी, ठेकुआ और अन्य पूजा सामग्रियां विशेष रूप से सु-शोभित हो रही थीं.

गुरुवार को हुआ था पहला अर्घ्य

गुरुवार को व्रतियों ने छठ मैया की पूजा-अर्चना करने के साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था. पुरे राज्य में यह पर्व अपार भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया गया. इस पर्व में संतान और जीवन के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. व्रती 36 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत रखकर छठी मैया का आर्शीवाद के लिए कठिन उपक्रम करते हैं. नदी के तटों और तालाबों के घाटों पर व्रतियों ने गुरुवार को पानी में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य अपिर्त किया. अर्घ्य की यही प्रक्रिया शुक्रवार की अहले सुबह भी अपनाई गई. चार दिनों तक चलने वाले इस छठ पर्व की विशेष पूजा के लिए शहर के नदी व तालाब के घाटों को विशेष तौर पर सजाया गया था.

साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था थी

इस पर्व के लिए नदी किनारे के घाटों की साफ-सफाई की गई और वहां पूजा के लिए कई इंतजाम किए गए. यहां रहने वाले पूर्वांचल के लोगों की संख्या को देखते हुए इस साल छठ पूजा के लिए अधिक घाट तैयार किए गए, जबकि पिछले साल कम घाटों पर ही यह पूजा हुई थी. सम्बन्धित विभाग व स्थानीय समितियों द्वारा घाटों पर पानी, बिजली, तम्बू, कुर्सियां और मोबाइल शौचालयों की व्यवस्था की गई थी. छठ पर्व के मद्देनजर शहर की सभी सड़कें साफ सुथरा किया गया था. तथा पूरे शहर को सजा दिया गया था. छठ पूजा को लेकर घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे. घाटों पर शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस व जिला प्रशासन की ओर से जवानो की तैनाती के साथ ही गश्ती की जा रही थी.

सुरक्षा के पूरे इंतजाम थे

सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे. किसी भी आकस्मिक घटना से निपटने के लिए पुलिसकर्मी, गोताखोर और नावों की व्यवस्था की गई थी. घाटों पर डॉक्टर, मोबाइल औषधालय और एम्बुलेंस भी मौजूद थी. राज्य के सभी क्षेत्रों से शांतिपूर्वक एवं भक्तिभाव से छठ पूजा संपन्न होनी की सूचना मिल रही है. दामोदर नदी घाट, गरुई नदी घाट, अजय नदी घाट समेत कई घाटों पर स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी व्रतियों की सुविधा के लिए पूरी व्यवस्था की गई थी.

उल्लेखनीय है कि बुधवार को व्रतियों ने’खरना’ का व्रत रखकर शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद चढ़ाकर पूजा की और परिजनों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हुआ जो शुक्रवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने अन्न-जल ग्रहण किया.

Last updated: अक्टूबर 28th, 2017 by News Desk