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आस्था के महापर्व पर अंडाल में उमड़ा जनसैलाब

अंडाल सिंघारन नदी छठ घाट के एक तरफ का दृश्य

अंडाल सिंघारन नदी छठ घाट के एक तरफ का दृश्य

आस्था के महापर्व पर अंडाल में उमड़ा जनसैलाब

आस्था के महापर्व पर अंडाल के सभी छठ घाटों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। पूरा अंडाल क्षेत्र छठमय हो गया।

दीपावली से ज्यादा रौशनी की गयी, पूरा क्षेत्र रौशनी से जगमगा गया

छठ घाट पर उपस्थित श्रद्धालुओं की भारी भीड़

अंडाल की लगभग सभी सड़कें और गलियाँ रौशनी से नहा गयी। अंडाल उत्तर  बाजार, दक्षिण बाजार, पश्चिम पल्ली, थाना रोड 13 नः, 12 नः, 9 नः रेलवे कालोनियों में चारों ओर सड़कों पर खूब रौशनी की गयी। छठ व्रति के छठ घाट जाने के सभी रास्तों की पूरी सफाई की गयी। रास्तों पर राइस लाइट की खुबसूरत चादर से सुबह का माहौल बहुत ही खूबसूरत हो गया।

खराब सड़कों ने छठ व्रतियों के कष्ट में इजाफा किया

यूं तो छठ पर्व को कष्ट का पर्व भी कहा जाता है और छठ व्रती बड़ी ही श्रद्धा से कष्ट का पालन करती हैं। घर से घाट तक नंगे पाँव पैदल जाती हैं। डलिया ले जाने वाले भक्त भी नंगे पाँव ही जाते हैं। कुछ व्रती कष्टि करते हुये घाट तक जाती हैं जिसमें वे हर दो चार कदम पर जमीन पर लेटती हुयी घाट तक जाती है। अंडाल की सड़कों ने छठ व्रतियों के कष्टों को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खराब सड़कों के गड्ढे और उसकी नुकीलीदार कंकड़ पाँव में कांटे की तरह चुभते थे। उसपर से गड्ढों को भरने के जगह-जगह  लिए लोहे के फैक्ट्रियों का छाय डाला हुआ था जो कि उसपर चलने वाले के लिए किसी दंड से कम नहीं था। अंडाल उत्तर बाजार, 13 नंबर, 9 नंबर, 12 नंबर रेलवे कालोनी कि सड़कें तो बहुत ही दंड देने वाली सड़कें थी। फिर भी छठ व्रती ने इन कष्टों को बड़ी ही श्रद्धा से पार किया और छठ माँ से कामना किया कि क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को सद्बुद्धि आए और इन खराब सड़कों को ठीक कराने की कोई व्यवस्था करे

अंडाल उत्तर  बाजार की खस्ता हाल सड़कों को देखते हुए उत्तर बाजार से सिंघारन नदी घाट तक सड़क पर कालीन बिछा दी गयी। कालीन पर चलकर अपने चुभते पाँव की रक्षा होने पर छठव्रतियों ने इस प्रयास की काफी सराहना की।

 

हलवा और बुंदी प्रसाद की कोई कमी नहीं थी

अंडाल उत्तर बाजार में खीर और बूंदी का प्रसाद वितरण करते श्रद्धालु

सिंघारन नदी घाट पर चाय वितरण करते श्रद्धालू

अंडाल, सिंघारन नदी घाट पर हलवा वितरण करते श्रद्धालु

छठ व्रतियों को सेवा देते एवं उनका अभिवादन करते श्रद्धालु

अंडाल के लगभग सभी घाटों पर हलवा, बुंदी प्रसाद और चाय काॅफी की निःशुल्क व्यवस्था थी जहां हजारों की संख्या में लोगों ने प्रसाद पाया और चाय भी पी तथा आयोजकों को आशीर्वाद दिया ।

पटाखों के शोर ने मन खट्टा कर दिया

सुबह-सुबह के वक्त जब छठ व्रतियाँ सूर्योदय से पूर्व भगवान सूर्य की आराधना में लीन थी उस वक्त तेज आवाज के पटाखों और चारों ओर धुऐं के गुबार ने उनके ध्यान में खूब विघ्न डाला। कुछ मनचले युवाओं के इस गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से छठ व्रतियों का भी मन खिन्न हो गया फिर भी सब कुछ भूलकर वे अपनी भक्ति में लगी रही।

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Last updated: अक्टूबर 31st, 2017 by Pankaj Chandravancee