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हिन्द दी चादर” व “भारत की ढाल” गुरु तेग बहादर साहेब

रानीगंज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा

“हिन्द दी चादर” व “भारत की ढाल” नाम की उपाधी पाने वाले सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के शहादत दिवस के अवसर पर 16 दिसंबर रविवार को रानीगंज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा की ओर से भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके तहत रानीगंज गुरुद्वारा की ओर से सप्ताहव्यापी कीर्तन, प्रभात फेरी आदि जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। शनिवार को इसी उपलक्ष्य पर रानीगंज गुरुद्वारा में भजन, कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया गया।

343वां शहादत दिवस

इस विषय पर रानीगंज गुरुद्वारा के अध्यक्ष हरजीत सिंह बग्गा ने बताया कि रविवार को गुरु तेग बहादुर साहेब का 343वां शहादत दिवस के मौके पर कई अनुष्ठान का आयोजन किया गया है। इसके तहत रविवार की सुबह रानीगंज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा प्रांगण से एक नगर कीर्तन निकाली जाएगी, जो गुरु तेग बहादुर साहेब का प्रकाश लेकर आयोजित कार्यक्रम स्थल शिशु बागान मैदान पहुँचेगी। इसके बाद बनारस से आए कथा वाचक नागेन्द्र पाल सिंह और संगरूर से आए हरजीत सिंह द्वारा गुरुवाणी का आयोजन होगा।

महिलाओं का भी काफी योगदान

दोपहर में लंगर के बाद एक विशाल एवं भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया जाएगा, जो पूरे क्षेत्र का भ्रमण कर गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को लोगों के समक्ष दर्शाने का कार्य करेगी। सप्ताहव्यापी कार्यक्रम में महिलाओं का भी काफी योगदान है। गुरुद्वारा में चलने वाले लंगर के लिए सुबह से शाम तक सीख समुदाय की महिलाओं द्वारा काफी परिश्रम करते देखा गया। रानीगंज गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा ने बताया कि कश्मीरी पंडितो (हिन्दू) धर्म के लोगों को तत्कालीन बादशाह औरंगजेब द्वारा जबरन इस्लाम धर्म कबुल करने को लेकर काफी अत्याचार किया जा रहा था।

दूसरों के रक्षा की खातिर गुरु साहेब का बलिदान

जिससे हिन्दू धर्म के लोग काफी आतंकित और हतास होकर अपनी रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी के शरण में आए। तभी से गुरु जी ने हिन्दुओ की रक्षा का संकल्प लिया और इसे लेकर औरंगजेब गुरु साहेब को कैद कर लिया और काफी यतनाए दी। फिर भी वे नहीं झुके तो अंत में 11 नवंबर 1675 ईसवी को चाँदनी चौक पर औरंगजेब ने उनका सर कलम करवा दिया। दूसरों के रक्षा की खातिर गुरु साहेब का बलिदान विश्व के इतिहास में सुनहरे अक्षरो से अंकित हो गया, पूरी दुनियाँ ने इस सच को स्वीकार किया कि सीख धर्म के अनुयायी ना अन्याय करते है और ना सहते है एवं दूसरे के जायज अधिकारो की रक्षा के लिए जान की कुर्बानी देने में भी पीछे नहीं हटते है।

इनकी अहम भूमिका

रानीगंज गुरुद्वारा के कार्यक्रम को सफल बनाने में अध्यक्ष हरजीत सिंह बग्गा, चेयरमेन हरपाल सिंह बग्गा, सचिव रबिंदर सिंह, सुरेंदर सिंह बग्गा, सुन्दर सिंह, रणबीर सिंह,कमलजीत सिंह, दलजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, बलजीत सिंह, बलबीर सिंह का अहम योगदान है। महिलाओं में गुरमीत कौर, अन्नपूर्णा जी, परबिंदर कौर, ट्विंकल कौर, विजया लक्ष्मी आदि उपस्थित थी।

Last updated: दिसम्बर 15th, 2018 by News Desk