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जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर सख्त हुआ ईसीएल प्रबंधन

वर्षो से ईसीएल की जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे तथा बिक्री करने को लेकर प्रबंधन की सख्ती दिखने लगी है. लगातार कार्यवाही व दोषियों पर एफआईआर भी दर्ज हो रहे है. अब ईसीएल प्रबंधन अपने जमीनों का सर्वे-रिकार्ड व चिन्हित करने का कार्य में तेजी लायी है. जिसके वजह से ईसीएल के विभिन्न क्षेत्रो से जमीनों पर अवैध कब्जे को हटाये जाने के साथ ही अवैध जमीनो के बदले कईयों की नौकरी भी निरस्त की गई है. जिससे ईसीएल को काफी फायदा पहुंचा है और इसका श्रेय काफी हद तक ईसीएल अधिकारियो को जाता है, जिसमे बिसेश्वर राम जैसे सर्वे अधिकारी भी शामिल है. ईसीएल के जमीनों पर हुए कब्जे को लेकर सर्वे अधिकारी बिसेश्वर राम ने बताया कि जब 1973 ई. में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गाँधी ने कोयले क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया था. तभी जितने भी निजी कम्पनिया जो कोयला उत्खनन कार्य से जुडी हुई थी सभी के खदान समेत सारी सम्पत्ति भारत सरकार के अधीन चली गई और भारत सरकार ने बाद में ईसीएल को सौप दिया. जिसके बाद उन जमीनों पर रह रहे लोगो को मुआवजा व नियोजन देकर सभी जमीनें ईसीएल के नाम करवा ली गई. श्री राम ने बताया कि इस दौरान बीएलआरओ में पहले से जिनका नाम दर्ज था उसका रिकार्ड बदला नहीं गया. जिसका फायदा आज ये भू-माफिया समेत अन्य लोग उठा रहे है. चूँकि पहले के जमीनों का जो भी रिकार्ड था वह सीएस में था. उसके बाद आरएस हुआ और अब एलआर रिकार्ड चल रहा है. जबकि ईसीएल ने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया और जिन लाभुको को उनके जमीनों के बदले मुआवजा व नियोजन दिया गया था. उनका नाम आरएस रिकार्ड में रह गया और उसी का लाभ उठाते हुए उनके वारिस आज गलत तरीके से जमीनों का रिकार्ड एलआर में चढ़ाकर बिक्री कर दे रहे है या गलत तरीके से घर बनाकर रह रहे है. सर्वे अधिकारी बी.राम ने बताया कि टहरम कारखाना के विपरीत उनका क्वाटर है, जहाँ उनके पड़ोस में संजय आचार्य नामक एक व्यक्ति रहते है, जिन्होंने ईसीएल का करीब एक बीघा जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है, जिसकी कीमत आज दो करोड़ रूपए (अनुमानित) की होगी.इस जमीन का मौजा नियामतपुर तथा प्लोट नम्बर 1290 व 1296 है. उन्होंने बताया कि बहुत चालाकी और बीएलआरओ अधिकारियो की मिलीभगत से संजय ने इस जमीन का एलआर रिकार्ड अपनी माँ पूर्णिमा आचार्या के नाम करवा लिया है. जबकि आरएस रिकार्ड के अनुसार उक्त जमीन ईसीएल की है. उन्होंने बताया कि संजय आचार्य ने ईसीएल की दी हुई बहुत पुरानी चारदीवारी को ध्वस्त कर अपनी चारदीवारी उठा लिया और बड़ा सा गेट लगा दिया है, इतना ही नहीं उनके चारदीवारी के अंतर्गत राज्य सरकार की जमीन भी है. बी.राम ने बताया कि इस घटना की जानकारी उन्होंने जब अपने अधिकारियो को दी तभी तत्काल कार्यवाही करते हुए अवैध कब्जाधारक संजय आचार्या को नामजद करते हुए नियामतपुर फाड़ी में शिकायत दर्ज करा दी गई और अब इस मामले में आगे की कार्यवाही की जाएगी. बी.राम ने कहा कि उन्हें काफी आश्चर्य हुआ जब नियामतपुर फाड़ी पुलिस के एक कर्मी सिविल पोशाक में खड़े होकर अवैध कब्जेधारी का साथ दे रहे थे. वही प्रबंधन का कहना है कि अवैध कब्जाधारियों को अब बक्शा नहीं जायेगा और जिस प्रकार बंजिमारी कोलियरी के आसपास कार्यवाही की गई है उसी तरह अब हर जगह किया जायेगा.
Last updated: सितम्बर 1st, 2017 by Pankaj Chandravancee