भारतीय महिला वैज्ञानिक ने खोजी कैंसर की दवा, गूगल ने किया सम्मानित

गूगल ने असीमा चटर्जी के सम्मान में उनके जन्मदिन 23 सितंबर को एक डूडल जारी किया

असीमा चटर्जी एक भारतीय रसायनशास्त्री थीं। उन्होंने जैव-रसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काम किया।उनके सबसे उल्लेखनीय कार्य में विन्सा एल्केल्योयड पर शोध शामिल है, और एंटी-मिर्जिलेट और एंटी-मलेरीयल ड्रग्स का विकास। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के औषधीय पौधों पर काफी मात्रा में काम किया।

असीमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को बंगाल में हुआ था। वो एक उत्कृष्ट छात्रा थीं, चटर्जी कोलकाता में बड़ी हुईं और स्कूल की शिक्षा के बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया, 1936 में रसायन विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

असिमा चटर्जी  के शोध से  मलेरियारोधी और कीमोथेरेपी दवा का विकास हुआ

असीमा चटर्जी
असीमा चटर्जी

असिमा चटर्जी ने 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से जैव-रसायन विज्ञान में मास्टर की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और उन्होंने 1944 में डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की। उन्होंने पौध उत्पादों और कृत्रिम जैविक रसायन विज्ञान के रसायन विज्ञान के विषय पर अपना डॉक्टरेट अनुसंधान ध्यान केंद्रित किया। चटर्जी ने अपने शोध को प्राकृतिक उत्पादों के रसायन विज्ञान के आसपास केंद्रित किया और इसके परिणामस्वरूप मलेरियारोधी और कीमोथेरेपी दवाओं का परिणाम हुआ।

वह रसायन विज्ञान विभाग के संस्थापक प्रमुख के रूप में 1940 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में नियुक्त हुईं। चटर्जी किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं।
वह कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रेमचंद रॉयचंद स्कॉलर थीं। वह 1944 में भारतीय विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा जनिकी अम्माल के बाद दूसरी महिला थीं, जिन्हें डॉक्टरेट ऑफ साइंस प्रदान किया गया था। 1960 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली का फ़ेलो चुना गया था। फरवरी 1982 से मई 1990 तक उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया था।

क्या है विन्सा एल्केल्योयड ?

इसे पाँच पत्तिया फूल के नाम से भी जाना जाता है

भारत में बहुतायत पाये जाने वाले इन पौधों से असीमा चटर्जी ने एक रस निकाला किया जिसे ‘विन्सा एल्केल्योयड’ कहा गया।

विन्सा एल्केल्योयड एक कैंसर रोधी दावा है। जो कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को रोकता है। यह कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया को बाधित कर देता है जिससे कि कैंसर कोशिकाओं का विस्तार रुक जाता है।  इसके रस जहरीले होते हैं । इसका मधुमेह, मलेरिया, किमोथेरेपी में  इस्तेमाल होता है।

स्त्रोत विकिपेडिया

Last updated: सितम्बर 24th, 2017 by Pankaj Chandravancee
Pankaj Chandravancee
Chief Editor (Monday Morning)
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